बलरामपुर,रघुनाथनगर
“हर घर नल, हर घर जल” का सपना दिखाने वाली सरकार की असलियत रघुनाथ नगर में उजागर हो रही है। क्षेत्र के एक प्रभावशाली बीजेपी नेता ने शासकीय नल पर अवैध कब्जा जमा लिया है। आम जनता पीने के पानी के लिए तरस रही है, लेकिन नेता के दबदबे और राजनीतिक संरक्षण के चलते न तो कोई विरोध कर पा रहा है और न ही प्रशासनिक अधिकारी खुलकर कदम उठा रहे हैं।
स्कूल रोड पर पानी के लिए हाहाकार: नेता का आतंक।
स्कूल रोड पर हाल ही में मकान बनाकर रहने आए इस बीजेपी कार्यकर्ता ने न सिर्फ सरकारी नल को अपनी निजी बाउंड्री में बंद कर दिया, बल्कि क्षेत्र में डर और दहशत का माहौल भी पैदा कर दिया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि कोई इस अन्याय का विरोध करता है, तो उसे झूठे मुकदमों में फंसाने, मारपीट करने, और नौकरी से ट्रांसफर कराने की धमकी दी जाती है।
“यहां न तो सरपंच कुछ बोलते हैं, न ही पंच, और न ही कोई स्थानीय जनप्रतिनिधि। सब नेता के खौफ से चुप बैठे हैं,” एक निवासी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा।

प्रशासनिक मौन: क्या रसूख के आगे झुकेगा न्याय?
रघुनाथ नगर की जनता पानी की एक-एक बूंद के लिए संघर्ष कर रही है, लेकिन नेता के राजनीतिक प्रभाव और स्थानीय प्रशासन की उदासीनता ने इस समस्या को और गंभीर बना दिया है। सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन रसूखदारों के आगे नतमस्तक है?
तहसीलदार ने दिया आश्वासन, लेकिन कार्रवाई पर सवाल?
जब इस मामले की जानकारी नई दुनिया के प्रतिनिधि को मिली, तो उन्होंने तुरंत इसे तहसीलदार रघुनाथ नगर, श्री मोहन भारतवाज को अवगत कराया। तहसीलदार ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही जांच कर वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। लेकिन, क्या यह आश्वासन सिर्फ कोरी बयानबाजी है या वास्तव में जनता को उनका अधिकार मिलेगा? यह एक बड़ा प्रश्न है।

जनता की मांग: प्रशासन करे सख्त कार्रवाई।
प्रभावशाली व्यक्ति के डर से दमित जनता ने प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से अपील की है कि इस मामले को गंभीरता से लिया जाए और अवैध कब्जे को हटाकर पानी की आपूर्ति बहाल की जाए।
क्या लोकतंत्र में रसूख जीतता है, या जनता का अधिकार?
रघुनाथनगर की यह घटना एक बड़ा सवाल खड़ा करती है:
“क्या प्रशासन जनता के मौलिक अधिकारों की रक्षा करेगा या रसूखदारों के आगे झुका रहेगा?”
यह सवाल केवल रघुनाथनगर का नहीं है, बल्कि देशभर में प्रशासनिक निष्क्रियता का प्रतीक है।