जरही, छत्तीसगढ़ विशेष रिपोर्ट
छत्तीसगढ़ के जरही नगर पंचायत में जल संकट ने भयावह रूप ले लिया है। पिछले 10 दिनों से लोगों के घरों में पानी की एक बूंद नहीं टपकी है, और इसके लिए कोई प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही जिम्मेदार है।
पिछले वर्ष ही जल जीवन मिशन के तहत करीब 6 करोड़ रुपये की लागत से पेयजल परियोजना का काम पूरा हुआ, लेकिन कुछ महीने बाद ही पाइपलाइन में वॉल लीकेज सामने आया, जिससे पानी की आपूर्ति पूरी तरह ठप हो गई। हैरानी की बात ये है कि यह लीकेज समस्या पिछले 6 महीने से अधिकारियों को मालूम है, फिर भी आज तक न तो इसे सुधारा गया, न ही कोई वैकल्पिक व्यवस्था की गई।
क्या प्रशासन के पास वॉल मरम्मत के लिए भी पैसे नहीं हैं?

जनता का सीधा सवाल है।
जब करोड़ों खर्च किए गए तो मरम्मत जैसे छोटे कार्य के लिए बजट क्यों नहीं है?
क्या जिम्मेदार अधिकारी इंतजार कर रहे हैं कि जनता और तड़पे, और विरोध में सड़कों पर उतरे?
या फिर जब उनके घरों में पानी बंद होगा, तब उन्हें लोगों की पीड़ा समझ में आएगी?
“वोट मांगते हैं दरवाजे-दरवाजे, लेकिन अब सुनना भी गंवारा नहीं”
नागरिकों का गुस्सा अब सड़कों से सोशल मीडिया तक दिख रहा है। एक महिला निवासी ने कहा,
“वो दिन दूर नहीं जब टंकी से पानी नहीं, बल्कि लोगों का गुस्सा फूटेगा। जनता वोट दिया था पानी रोड व विकास के लिए, भाषणों के लिए नहीं।”
नेता और अफसर क्यों साधे हैं चुप्पी?
ठेकेदार पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
पीएचई और नगर पंचायत अधिकारी चुप क्यों हैं?
क्या जल जीवन मिशन सिर्फ फाइलों तक सीमित रहेगा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना था: “हर घर नल से जल”, लेकिन जरही में यह सपना लीकेज के पानी के साथ बह गया लगता है।

🔴 जनता की 3 बड़ी मांगें:
1. पाइपलाइन लीकेज की मरम्मत तत्काल हो
2. ठेकेदार व अफसरों पर जांच बैठाई जाए
3. जल आपूर्ति बहाली तक वैकल्पिक इंतज़ाम किए जाएं
📢 यह सिर्फ जल संकट नहीं, भरोसे का संकट है।
जरही की यह स्थिति सरकार और प्रशासन दोनों के लिए आईना है। जब हैंडपंप सूख गए, टंकी से पानी आना बंद हुआ, और नलों में सिर्फ हवा आई, तब जनता को समझ आया कि विकास की बातें कागजों पर थीं ज़मीनी सच्चाई कुछ और है।
📌 यदि शासन-प्रशासन अब भी नहीं जागा, तो जनता आने वाले चुनाव में जवाब देना नहीं भूलेगी।