तेज रफ्तार, अंधेरा और लापरवाही बनी जानलेवा मालवाहक में सफर फिर बना मौत का रास्ता।
सूरजपुर, 23 अप्रैल 2025:– मंगलवार की रात सूरजपुर जिले के ग्राम बिसाही पोड़ी के पास एक पारिवारिक खुशी पल भर में मातम में बदल गई, जब एक पिकअप वाहन पलटने से दो मासूम बच्चों की मौत हो गई और नौ लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।
घटना उस वक्त हुई जब 25 ग्रामीण एक शादी के चौथी भोज से लौट रहे थे। हादसे का कारण बताया जा रहा है तेज रफ्तार, अंधेरा और मोड़ पर चालक का वाहन से नियंत्रण खो बैठना।
हादसे की पूरी घटना।
घटना चेंद्रा चौकी क्षेत्र के ग्राम बिसाही पोड़ी के पास की है। जानकारी के अनुसार, लटोरी चौकी अंतर्गत ग्राम भंडारपारा से 25 ग्रामीण पिकअप वाहन से बिलासपुर गांव में एक शादी समारोह के चौथी भोज में शामिल होने गए थे। लौटते समय रात लगभग 10 बजे वाहन एक पत्थर से टकराया और सड़क किनारे पलट गया।

हादसे के तुरंत बाद आसपास के ग्रामीण घटनास्थल पर पहुंचे। किसी ने एंबुलेंस बुलाया तो किसी ने पुलिस को सूचना दी। घायलों को भटगांव स्वास्थ्य केंद्र लाया गया, जहां इलाज के दौरान दिगंबर राजवाड़े (12) और पुन्नू चेरवा (13) ने दम तोड़ दिया। दोनों के सिर और सीने में गंभीर चोटें थीं।
अन्य 9 गंभीर घायलों को अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया है। इनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। 12 अन्य को मामूली चोटें आई हैं और उनका इलाज भटगांव में चल रहा है।
घटना के बाद चालक मौके से फरार हो गया है, जिसकी तलाश जारी है।

माल वाहकों में सफर: एक पुरानी लापरवाही।
यह हादसा एक बार फिर दर्शाता है कि कैसे मालवाहक वाहनों में सवारियों को ढोने की मनाही के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में इसका उपयोग आम बात हो गई है। प्रशासन द्वारा समय-समय पर चेतावनी और प्रतिबंधों के बावजूद यह खतरनाक प्रवृत्ति थमने का नाम नहीं ले रही।
पिछले वर्ष कवर्धा हादसे के बाद प्रशासन ने सख्ती की बात कही थी, लेकिन जमीनी हकीकत जस की तस बनी हुई है। लोगों की मजबूरी और सस्ते सफर के चलते हर साल ऐसी दर्दनाक घटनाएं दोहराई जाती हैं।
गांव में पसरा सन्नाटा, खुशियां बदली मातम में।
शादी की खुशियों वाले घर अब मातम में बदल गए हैं। जिन गलियों में कुछ ही घंटे पहले हंसी और गीत गूंज रहे थे, अब वहां केवल सिसकियों और आँसुओं की गूंज है। मासूमों की असमय मौत ने पूरे गांव को झकझोर कर रख दिया है।
निष्कर्ष: सस्ती यात्रा की भारी कीमत।
प्रशासन को अब चेतने की जरूरत है। समय की मांग है कि ग्रामीण परिवहन की दशा पर गंभीर ध्यान दिया जाए और नियमों के सख्त पालन को सुनिश्चित किया जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।