मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य अस्पताल दिनांक: 03 जून 2025
छत्तीसगढ़:–राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एन.एच.एम.) कर्मचारी संघ की महत्वपूर्ण बैठक आज मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य अस्पताल में आयोजित की गई, जिसमें कर्मचारियों के सी.आर. मूल्यांकन, अतिरिक्त कार्यभार और लंबित मांगों को लेकर एक बार फिर सरकार और प्रशासन को कठघरे में खड़ा किया गया।
सी.आर. मूल्यांकन में पक्षपात पर कड़ा ऐतराज
संघ ने चेताया कि यदि वार्षिक गोपनीय प्रविष्टि (सी.आर.) प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता नहीं लाई गई, तो यह कर्मचारियों के मनोबल को तोड़ेगा और वेतनवृद्धि जैसी संवेदनशील प्रक्रिया पर गंभीर असर डालेगा। संघ ने स्पष्ट कहा – सी.आर. “पसंद-नापसंद का खेल” नहीं हो सकती।
व्यक्तिगत द्वेष से उत्पीड़न, आत्महत्या की घटनाएं बनी चेतावनी!
हाल ही में ब्लॉक छुहीखदान की सी.एच.ओ. आरती यादव द्वारा अधिकारियों की प्रताड़ना से तंग आकर की गई आत्महत्या का मामला बैठक में प्रमुखता से उठा। संघ ने इसे मानव संसाधन प्रणाली की विफलता बताया और चेताया – “अब और नहीं!” यदि इस तरह की घटनाएं दोहराई गईं, तो संघ सड़कों पर उतरेगा।

अतिरिक्त कार्य भार = मानसिक दबाव + कार्य गुणवत्ता में गिरावट।
बैठक में यह भी स्पष्ट किया गया कि कर्मचारियों को टी.ओ.आर. से बाहर जाकर ऑनलाइन कार्यों में झोंकना न केवल प्रशासनिक अराजकता है, बल्कि यह मानसिक उत्पीड़न का आधुनिक रूप है। संघ ने मांग की –
“सी.एच.ओ., जे.एस.ए. और ए.एन.एम. से केवल उनके दायित्व अनुसार कार्य लिया जाए, आदेश की अवहेलना करने वाले अधिकारियों पर जिम्मेदारी तय की जाए।”
20 साल से लंबित मांगें – अब सब्र टूटा!
संघ ने कहा कि नियमितीकरण, ग्रेड-पे, स्थानांतरण नीति, सेवा पुस्तिका, मेडिकल सुविधा और अनुकंपा नियुक्ति जैसे मूलभूत मुद्दों पर सरकार की चुप्पी अब बर्दाश्त नहीं।
“1 मई को आश्वासन दिया गया था, 1 जून बीत गया – अब हम शांत नहीं बैठेंगे।”


📢 आंदोलन की रणनीति तैयार – प्रदेशव्यापी हड़ताल की चेतावनी
बैठक में निर्णय लिया गया कि यदि शीघ्र मांगों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो प्रेस कॉन्फ्रेंस, जिला स्तर पर प्रदर्शन और अंततः अनिश्चितकालीन हड़ताल की ओर बढ़ा जाएगा।
🗣️प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अमित कुमार मिरी का दो टूक बयान:
“यह संघ सिर्फ मांग नहीं करता, संघर्ष भी जानता है। हम किसी की कृपा नहीं मांग रहे, अपने अधिकार की मांग कर रहे हैं। यदि कर्मचारियों को न्याय नहीं मिला, तो हर जिला मुख्यालय पर आवाज गूंजेगी।”
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की रीढ़ माने जाने वाले कर्मचारी अब प्रशासन की चुप्पी और उत्पीड़न के खिलाफ निर्णायक मोड़ पर हैं।
अब देखना यह है कि क्या शासन समय रहते सुनवाई करेगा या एन.एच.एम. की सेवाएं ठप करने वाला आंदोलन आने वाला है?