सूर्य नारायण अंबिकापुर/सरगुजा, 21 मई 2025:
छत्तीसगढ़ की पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में संचालित ‘आयुष्मान भारत योजना’ की जमीनी हकीकत एक बार फिर बेनकाब हो गई है। अंबिकापुर स्थित लाइफ लाइन अस्पताल पर गंभीर आरोप लगे हैं कि उसने गरीब मरीज से योजना के तहत इलाज होने के बावजूद लाखों रुपये वसूल लिए। यह खुलासा आरटीआई और जागरूक समाजसेवी दीपक मानिकपुरी की पहल से हुआ है।
क्या है पूरा मामला?
ग्राम पंचायत रामनगर (थाना बिश्रामपुर, जिला सूरजपुर) निवासी श्रीमती राजकुमारी को सीने में तेज दर्द होने पर जिला अस्पताल सूरजपुर से अंबिकापुर रेफर किया गया। 11 फरवरी की रात को उन्हें लाइफ लाइन अस्पताल में भर्ती किया गया। उनके पास आयुष्मान कार्ड (मेंबर ID: PO62V1T6G) था, बावजूद इसके अस्पताल ने इलाज के नाम पर लगभग ₹1.60 लाख की वसूली की।

RTI से मिली जानकारी के अनुसार:
12 से 17 फरवरी: मेडिकल केस में ₹50,000 स्वीकृत
17 से 20 फरवरी: सर्जिकल केस में ₹72,200 स्वीकृत
इसके बावजूद, 12 फरवरी को ही रात में ₹40,000 नकद लेकर एक महंगा इंजेक्शन (MIREL for IV use only) लगाया गया। परिजनों को बार-बार दवाओं और अन्य सेवाओं के लिए नकद भुगतान करना पड़ा।

सर्जरी से पहले पैसा, बाद में ब्लॉकिंग!
सबसे हैरानी की बात यह रही कि मरीज की सर्जरी 16 फरवरी को कर दी गई, जबकि आयुष्मान पोर्टल पर इसकी ब्लॉकिंग 17 फरवरी से की गई है। अस्पताल ने इसे “टेक्निकल इश्यू” बताया, लेकिन क्या गरीब मरीज के हक का पैसा इस बहाने से छीना जा सकता है?
डॉक्टरों के उलझे बयान, परिजनों में आक्रोश?

सर्जरी के बाद रायपुर के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. सूर्यवंशी ने कहा – “ब्लॉकेज हटाया जा चुका है, मरीज पूरी तरह स्वस्थ है।”
लेकिन कुछ ही दिन बाद डॉ. असाटी ने बयान दिया – “दो और ब्लॉकेज बाकी हैं, जिनकी सर्जरी एक माह बाद की जाएगी।”
इस विरोधाभास से साफ है कि मरीज की जानकारी छुपाकर, बार-बार भर्ती के ज़रिए पैसा वसूली का खेल खेला गया।
कौन हैं दीपक मानिकपुरी?

इस घोटाले का पर्दाफाश करने वाले दीपक मानिकपुरी सरगुजा संभाग के एक समर्पित समाजसेवी हैं, जो शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर सक्रिय हैं। उन्होंने पूर्व में एक भ्रष्ट डॉक्टर को जिला अस्पताल से बर्खास्त भी करवाया है। उनके जनहित प्रयास लगातार आदिवासी समाज के लिए बदलाव की प्रेरणा बन रहे हैं।
उठी न्याय की मांग।
पीड़ित परिजनों ने 19 मई को कोतवाली थाना, जिला कलेक्टर और CMHO सरगुजा को लिखित शिकायत दी है। स्वास्थ्य विभाग से उच्च स्तरीय जांच की माँग की गई है।
अब सवाल यह है — क्या ‘आयुष्मान भारत’ योजना गरीबों के लिए वरदान बनी रहेगी, या कुछ निजी अस्पतालों के लिए केवल लूट का ज़रिया?