सूरजपुर, 10 जून 2025
जिले में सड़क दुर्घटना में जान गंवाने वाले पीड़ित परिवारों को समय पर मुआवजा दिलाने ई-डार (इलेक्ट्रॉनिक डिटेल्स एक्सीडेंट रिपोर्ट) प्रणाली को प्रभावी बनाने की दिशा में पुलिस प्रशासन ने एक अहम कदम उठाया है। डीआईजी एवं एसएसपी श्री प्रशांत कुमार ठाकुर के निर्देशन में जिले के सभी थाना/चौकी प्रभारियों, अनुसंधान अधिकारियों, सीसीटीएनएस ऑपरेटरों, पीडब्ल्यूडी एवं आरटीओ विभाग के अधिकारियों को ई-डार प्रणाली पर व्यापक प्रशिक्षण दिया गया।
डिजिटल लापरवाही बनती थी मुआवजा भुगतान में विलंब की वजह।
एसएसपी ठाकुर ने बताया कि सड़क हादसों के बाद ई-डार पोर्टल पर जानकारी अपलोड करने में हो रही देरी के कारण मृतकों के परिजनों को मुआवजा मिलने में अनावश्यक विलंब हो रहा था। यह मामला जब उनके संज्ञान में आया, तो उन्होंने तत्काल प्रशिक्षण सत्र आयोजित करने के निर्देश दिए। उन्होंने स्पष्ट कहा कि “पीड़ित परिवार को न्याय दिलाना हमारी प्राथमिकता है। अब प्रत्येक दुर्घटना की जानकारी तत्काल ई-डार पर अपलोड की जाएगी, जिससे मुआवजा मिलने की प्रक्रिया शीघ्र पूरी हो सके।”
प्रशिक्षण में ई-डार के सभी चरणों की दी गई जानकारी।
एनआईसी के आईरेड एवं ई-डार डिस्ट्रिक्ट रोलआउट मैनेजर जयप्रकाश मेश्राम द्वारा प्रशिक्षण में बताया गया कि ई-डार रिपोर्ट में कुल 10 फॉर्मेट होते हैं, जिन्हें केस के अनुसंधानकर्ता द्वारा भरना अनिवार्य है।
फॉर्मेट-1 को अनुसंधानकर्ता के हस्ताक्षर सहित अपलोड करना होता है।
ज्ञात वाहन से हुई मौत की स्थिति में केस आईओ (Investigating Officer) द्वारा ई-डार पर रिपोर्ट करना अनिवार्य है।

अज्ञात वाहन के मामले में डीटीओ (जिला परिवहन अधिकारी) द्वारा आगे की प्रक्रिया की जाती है।
जिले के प्रत्येक थाने व चौकी में एक ई-डार नोडल पुलिस अधिकारी नियुक्त किया गया है, जिन्हें यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी गई है कि अनुसंधानकर्ता समय पर सभी कॉलम भरें और रिपोर्ट अपलोड करें।
प्रशिक्षण सत्र में वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति।
प्रशिक्षण सत्र में सीएसपी एसएस पैंकरा, एसडीओपी प्रतापपुर सौरभ उईके, एसडीओपी प्रेमनगर नरेन्द्र सिंह पुजारी, एसडीओपी सूरजपुर अभिषेक पैंकरा, डीएसपी अजाक पीडी कुजूर, डीएसपी अनूप एक्का, डीएसपी मुख्यालय महालक्ष्मी कुलदीप, एसडीओपी ओड़गी राजेश जोशी, सभी थाना-चौकी प्रभारी, जिला पुलिस कार्यालय के अधिकारी एवं सीसीटीएनएस ऑपरेटर उपस्थित रहे।
इस पहल से अब सड़क हादसे में जान गंवाने वालों के परिवारों को डिजिटल सिस्टम के माध्यम से त्वरित मुआवजा मिल सकेगा, जो कि शासन की जन-कल्याणकारी नीति की अहम कड़ी है।