गजाधरपुर और विश्रामपुर से सामने आए गंभीर पर्यावरणीय अपराध, प्रशासन की निष्क्रियता पर उठे सवाल।
सूरजपुर, 23 अप्रैल 2025:– छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में अवैध वृक्ष कटाई के मामलों ने एक बार फिर पर्यावरण सुरक्षा और प्रशासनिक कार्रवाई पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिले के गजाधरपुर गांव और विश्रामपुर क्षेत्र में अवैध रूप से नीलगिरि और लिप्टिस के पेड़ों की कटाई के मामले सामने आए हैं। हालांकि, एक ओर राजस्व अमले ने दो पेड़ों की कटाई पर कार्रवाई की है, वहीं दूसरी ओर बड़े पैमाने पर हो रही कटाई पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
गजाधरपुर में नीलगिरि पेड़ों की कटाई पर त्वरित कार्रवाई।
ग्राम गजाधरपुर में सोमार साय नामक व्यक्ति द्वारा नीलगिरि के दो पेड़ों की अवैध कटाई और ट्रैक्टर से परिवहन किए जाने की सूचना राजस्व विभाग को मिली। हल्का पटवारी और राजस्व निरीक्षक लटोरी ने मौके पर पहुंचकर ट्रैक्टर को जब्त कर लिया। हालांकि, वाहन चालक मौके से फरार हो गया।

जब्त की गई लकड़ी और ट्रैक्टर को गजाधरपुर सरपंच को सुपुर्द किया गया है और आगे की कार्रवाई की जा रही है। यह मामला एक उदाहरण है कि यदि समय रहते कदम उठाए जाएं, तो अवैध गतिविधियों को रोका जा सकता है।
विश्रामपुर में लिप्टिस माफिया का आतंक।

विश्रामपुर क्षेत्र में एसईसीएल की भूमि पर लंबे समय से अवैध कब्जा और निर्माण की घटनाएं सामने आती रही हैं। अब इसी जमीन पर लगे लिप्टिस के पेड़ों की अवैध कटाई का मामला सामने आया है।
सूचना मिलने पर मीडिया टीम ने मौके पर पहुंच कर स्थिति का जायजा लिया और अधिकारियों को सूचित किया। कटाई करवा रहे व्यक्ति, श्रवण गिरी, किसी भी वैध दस्तावेज को प्रस्तुत नहीं कर सके और मीडिया से भी अभद्रता की।

उन्होंने यह दावा किया कि उन्हें शासन-सत्ता का संरक्षण प्राप्त है और कोई भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। यह रवैया दर्शाता है कि स्थानीय प्रभावशाली लोग किस तरह से नियमों को ताक पर रखकर खुलेआम पर्यावरणीय अपराध कर रहे हैं।
प्रशासनिक भ्रम और जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ना।
जब इस अवैध कटाई को लेकर वन विभाग से संपर्क किया गया, तो उनका कहना था कि चूंकि भूमि एसईसीएल की है, इसलिए कार्रवाई की जिम्मेदारी एसईसीएल या राजस्व अधिकारियों की है। वहीं एसईसीएल अधिकारियों की ओर से अब तक कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है।

सूत्रों की मानें तो कुमदा क्षेत्र में भी 400 से अधिक पेड़ों की कटाई की योजना बनाई जा रही है। इतना ही नहीं, विश्रामपुर स्थित DAV स्कूल के पेड़ों की भी कटाई की डील हो चुकी है, और अब सिर्फ स्कूल की छुट्टियों का इंतजार किया जा रहा है।
निष्कर्ष:पर्यावरण संरक्षण की ज़रूरत और प्रशासन की जिम्मेदारी
छोटे मामलों में कार्रवाई और बड़े अपराधों पर चुप्पी यह दर्शाती है कि जिला प्रशासन और संबंधित विभागों को अपने कार्यों की प्राथमिकताओं पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। यदि समय रहते कठोर कदम नहीं उठाए गए, तो जिले में पर्यावरण को अपूरणीय क्षति पहुंच सकती है।