10 जून को आत्मदाह करना था तय, 2 दिन पहले डांटकर लौटाया गया… अब कोई सुराग नहीं!
रायपुर/महासमुंद/ विशेष रिपोर्ट
छत्तीसगढ़ की राजधानी में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने न सिर्फ शासन-प्रशासन की संवेदनशीलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि एक आम नागरिक की चीख को किस तरह सरकारी तंत्र ने अनसुना कर दिया, इसकी जीती-जागती मिसाल बन चुका है।
प्रतिभा मसीह – एक 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला, जो अपनी विकलांग बेटी और दो नातियों के साथ बीते रविवार सुबह से लापता हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यही महिला 10 जून को मुख्यमंत्री निवास के सामने आत्मदाह करने वाली थी…!
सरकार से चीख-चीख कर मांगा था न्याय, नहीं सुना गया तो दी थी आत्मदाह की चेतावनी।
प्रतिभा मसीह महासमुंद जिले के लहरौद गांव, वार्ड क्रमांक 6 की निवासी हैं। वर्ष 2017 में उन्होंने खून-पसीने की कमाई से एक छोटा-सा मकान खरीदा था। फिर 2019 में जब आर्थिक तंगी आई, तो उन्होंने गांव की ही शासकीय शिक्षिका गंगादेवी ध्रुव से ₹73,000 उधार लिए। शर्त थी कि छह महीने में पैसे लौटाकर मकान वापस ले लेंगी।
लेकिन जब उन्होंने तय समय पर राशि लौटानी चाही, तो शिक्षिका ने पैसे लेने से मना कर दिया और मकान पर जबरन कब्जा कर लिया।
इस अन्याय के खिलाफ प्रतिभा मसीह ने बार-बार कलेक्टर जनदर्शन में गुहार लगाई। कई महीनों तक न्याय नहीं मिला, तो अंततः उन्होंने मुख्यमंत्री निवास के सामने आत्मदाह करने की चेतावनी दे डाली।

आत्मदाह की चेतावनी के बावजूद अफसरों ने डांटकर भगाया?
इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि आत्मदाह की चेतावनी देने के दो दिन पहले ही प्रशासनिक अधिकारियों ने उन्हें डांटा-फटकारा। बताया जाता है कि वृद्धा को यह कहकर धमकाया गया कि “यहाँ ड्रामा मत करो, देख लेंगे।”
इस अपमान से मानसिक रूप से टूट चुकी महिला रविवार सुबह अचानक गायब हो गई। उनके साथ उनकी विकलांग बेटी और दो मासूम नाति भी हैं।
🚨 24 घंटे से लापता! पुलिस के पास कोई ठोस सुराग नहीं
रविवार से ही पुलिस प्रशासन सक्रिय है। शहर भर में खोजबीन हो रही है – रेलवे स्टेशन, बस अड्डे, धर्मशालाएं, मंदिर – लेकिन अभी तक प्रतिभा मसीह और उनके परिवार का कोई अता-पता नहीं।
जनता सवाल पूछ रही है – आखिर कहां हैं प्रतिभा मसीह?
एक महिला खुलेआम आत्मदाह की चेतावनी देती है, फिर लापता हो जाती है – और सरकार चुप क्यों है?
क्या यह प्रशासनिक तंत्र की असफलता नहीं?
आत्महत्या जैसे गंभीर इशारे को हल्के में लेना क्या गैर-जिम्मेदाराना नहीं?
विकलांग बेटी और दो छोटे बच्चों की सुरक्षा का जिम्मेदार कौन?
यह सिर्फ एक महिला की कहानी नहीं, यह ‘गुम होती संवेदनशीलता’ की दस्तक है
प्रतिभा मसीह की कहानी सिर्फ ज़मीन के एक टुकड़े की लड़ाई नहीं है। यह उस सिस्टम की असंवेदनशीलता की तस्वीर है, जो आम जनता की आवाज़ तब तक नहीं सुनता, जब तक वह आत्मदाह की कगार पर न आ जाए।
क्या प्रशासन अब भी जागेगा?
सरकार के सामने यह घटना आंखें खोलने वाली होनी चाहिए। यह मामला एक्शन नहीं, इमोशन की मांग करता है। वह महिला जो कुछ दिन पहले न्याय मांग रही थी, आज न जाने किस हालत में और कहां होगी?
CGN24 की विशेष रिपोर्ट, मामले पर लगातार अपडेट्स जारी रहेंगे। यदि आपने प्रतिभा मसीह या उनके परिवार को देखा है, तो कृपया नजदीकी थाने या हमारे न्यूज़रूम से संपर्क करें।