वाड्रफनगर (बलरामपुर-रामानुजगंज), 26 मई 2025
वाड्रफनगर पुलिस चौकी प्रभारी धीरेन्द्र तिवारी पर बर्बरता, मारपीट और धमकी जैसे गंभीर आरोप लगाते हुए नगर निवासी मयंक यादव ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। यह मामला अब राजनीतिक रूप से भी गरमा गया है, जहां कांग्रेस के सैकड़ों कार्यकर्ता पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम के नेतृत्व में न्यायिक जांच की मांग को लेकर मैदान में उतर चुके हैं।
मयंक यादव का आरोप है कि 18 मई की रात उन्हें और उनके मित्र युवराज गोस्वामी को चौकी प्रभारी के मोबाइल नंबर से कॉल कर आधी रात को चौकी बुलाया गया। वहां दोनों के साथ न केवल गाली-गलौज की गई, बल्कि बेल्ट और लात-घूंसों से बुरी तरह पीटा गया। मयंक ने दावा किया कि चौकी प्रभारी नशे में थे और उन्होंने खुद को “बस्तर से ट्रांसफर होकर आया सिंगल ऑर्डर ऑफिसर” बताते हुए जान से मारने की धमकी दी।

पीड़ित की शिकायत में ये मांगें प्रमुख रूप से शामिल हैं:
आरोपी पुलिस अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए।
मेडिकल परीक्षण व फोटोयुक्त चोट रिपोर्ट तैयार की जाए।
पीड़ित को सुरक्षा प्रदान की जाए।
घटना की न्यायिक जांच कराई जाए।
चौकी का CCTV फुटेज जब्त कर संरक्षित किया जाए।

पीड़ित ने आवेदन में भारतीय दंड संहिता 2023 की धाराओं 198, 61(2), 115(2), 120(1), 127 और 351(2) के तहत कार्रवाई की मांग की है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा D.K. Basu बनाम पश्चिम बंगाल राज्य मामले में जारी दिशा-निर्देशों के उल्लंघन का भी हवाला दिया है।
इस मामले ने स्थानीय राजनीति को भी तपा दिया है। कांग्रेस नेता प्रेमसाय सिंह टेकाम ने प्रशासन को 72 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए चेतावनी दी है कि यदि आरोपी अधिकारी पर कार्रवाई नहीं हुई, तो कांग्रेस कार्यकर्ता व्यापक आंदोलन छेड़ेंगे।

प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा।
“यह घटना न सिर्फ कानून व्यवस्था बल्कि नागरिक अधिकारों पर भी हमला है। प्रशासन यदि चुप रहा, तो हम लोकतांत्रिक तरीके से सड़कों पर उतरेंगे।”
फिलहाल जिला प्रशासन की ओर से इस मामले में कोई औपचारिक बयान जारी नहीं हुआ है। लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की बढ़ती सक्रियता को देखते हुए प्रशासन पर जल्द निर्णय लेने का दबाव बढ़ता जा रहा है।
अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या जिला प्रशासन समय रहते निष्पक्ष जांच की दिशा में कदम उठाता है या मामला और अधिक तूल पकड़ता है।