कांग्रेस ने की कड़ी कार्रवाई की मांग, चेताया: नहीं हुई सुनवाई तो होगा उग्र जनांदोलन
वाड्रफनगर (बलरामपुर), 20 मई 2025
बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर थाना क्षेत्र से मानवाधिकारों को झकझोर देने वाली एक घटना सामने आई है, जिसमें चौकी प्रभारी धीरेन्द्र तिवारी पर एक निर्दोष युवक के साथ अमानवीय व्यवहार, जानलेवा पिटाई और गैरकानूनी हिरासत में रखने जैसे संगीन आरोप लगे हैं। इस घटना ने न केवल जिले के नागरिकों को भयभीत कर दिया है, बल्कि पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
पूरे घटनाक्रम का विवरण:
18 मई की रात लगभग 11:00 बजे चौकी प्रभारी धीरेन्द्र तिवारी ने युवक मयंक यादव को फोन करके चौकी बुलाया, यह कहकर कि एक घटना के संबंध में पूछताछ करनी है। मयंक यादव बिना किसी संदेह के चौकी पहुंचा, लेकिन वहां का माहौल बेहद भयावह निकला।

युवक के परिजनों के अनुसार, चौकी प्रभारी उस वक्त नशे की हालत में था और उसने युवक व उसके साथी के साथ गाली-गलौज करते हुए उन्हें कपड़े उतारने को मजबूर किया। इसके बाद दोनों को प्लास्टिक पाइप और डंडों से बेरहमी से पीटा गया।

कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग:
युवक को पूरी रात चौकी में बैठा कर रखा गया और अगली सुबह मनमाने ढंग से भारतीय न्याय संहिता की धारा 170 (BNSS) के तहत मामला दर्ज कर जेल भेज दिया गया। यह धारा उन मामलों में लागू होती है, जहां कोई व्यक्ति सरकारी पदाधिकारी बनकर अपराध करे, जबकि मयंक यादव का इस तरह की किसी भी गतिविधि से कोई संबंध नहीं था। यह गिरफ्तारी न केवल कानूनी रूप से संदिग्ध है, बल्कि संविधान में प्रदत्त मूल अधिकारों का खुला उल्लंघन भी है।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया:

इस घटना के बाद जिलेभर में आक्रोश का माहौल है। आम जनता खुद को असुरक्षित महसूस कर रही है। कांग्रेस पार्टी ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए आज 20 मई को वाड्रफनगर एसडीएम को एक ज्ञापन सौंपा है।
कांग्रेस ने प्रशासन को 48 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए चार प्रमुख मांगें रखी हैं:
1. आरोपी चौकी प्रभारी धीरेन्द्र तिवारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाए।
2. एक स्वतंत्र और उच्चस्तरीय जांच कमेटी गठित कर निष्पक्ष जांच की जाए।
3. पीड़ित युवक मयंक यादव को न्याय और उचित मुआवजा प्रदान किया जाए।
4. समस्त पुलिस चौकियों में मानवाधिकारों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाए।
कांग्रेस ने चेताया है कि यदि इन मांगों पर शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई, तो वह जिलेभर में उग्र आंदोलन, चक्काजाम, और धरना-प्रदर्शन करेगी।

जनता का आक्रोश:
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब वाड्रफनगर क्षेत्र में पुलिस की मनमानी सामने आई हो। इससे पूर्व भी कस्टोडियल डेथ जैसे मामले सामने आ चुके हैं। अब लोगों का सवाल है —”क्या चौकियां अब सुरक्षा का नहीं, अत्याचार का केंद्र बन चुकी हैं?”
प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में
अब तक प्रशासन की ओर से कोई स्पष्ट बयान सामने नहीं आया है। पीड़ित परिवार और आम जनमानस को उम्मीद है कि शासन इस गंभीर प्रकरण में तत्काल संज्ञान लेगा और दोषी पुलिस अधिकारी को कठोर सजा दी जाएगी।