सूरजपुर, 28 अप्रैल 2025 सूरजपुर जिला पंचायत के डाटा सेंटर में 24 अप्रैल को हुई आगजनी ने प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रशासन द्वारा जारी खंडन में घटना को शॉर्ट सर्किट का नतीजा बताया गया है, लेकिन कई अन्य घोटालों के साथ प्रशासन की चुप्पी ने संदेह को और गहरा कर दिया है।
आगजनी पर सीईओ की चुप्पी, शक गहराया।
जिला पंचायत की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) नंदनी कमलेश आगजनी के बाद से मीडिया से दूरी बनाए हुए हैं। एक लोक सेवक के रूप में उनकी जिम्मेदारी थी कि वे जनता को पारदर्शी जानकारी दें, लेकिन उनकी चुप्पी ने आगजनी को साजिश का रूप देने वाली अटकलों को बल दिया है।
सीसीटीवी फुटेज गायब: पारदर्शिता पर सवाल।
इतने संवेदनशील कार्यालय में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को सार्वजनिक न करना, प्रशासन पर तथ्य छिपाने के आरोपों को मजबूत करता है। अब सवाल उठ रहा है क्या कैमरे चालू थे? अगर हां, तो फुटेज क्यों नहीं दिखाया गया?

शिक्षा विभाग में अनियमितताएं: बीईओ और समन्वयक सवालों के घेरे में।
रामानुजनगर बीईओ पं. भारद्वाज के खिलाफ सीएम जतन योजना और स्कूलों में नेताओं के फोटोयुक्त सामग्री सप्लाई को लेकर गंभीर आरोप लगे हैं। वहीं, राजीव गांधी शिक्षा मिशन समन्वयक शशि कांत सिंह को बिना गहन जांच क्लीन चिट देना, जांच प्रणाली पर सवाल खड़ा करता है।
रीपा योजना और बीआरसी घोटाला: कबाड़ में किताबें, लूटी स्मार्ट क्लास।
प्रेमनगर बीआरसी कार्यालय में किताबों को कबाड़ में फेंकने और स्मार्ट क्लास परियोजना में गड़बड़ियों की शिकायतें सामने आई हैं। बावजूद इसके, न जांच दल गठित किया गया, न ही जिला पंचायत ने कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया दी।
प्रशासन की जवाबदेही पर बड़ा प्रश्नचिन्ह।
सूरजपुर जिला पंचायत में लगातार सामने आ रहे घोटाले — आगजनी से लेकर शिक्षा विभाग और रीपा योजना में अनियमितताओं तक प्रशासनिक निकम्मेपन और भ्रष्टाचार को उजागर करते हैं। जनता के सवालों का जवाब न देना लोकतांत्रिक प्रणाली पर सीधा हमला है।