अम्बिकापुर:– 22 मार्च 2025 आईपीएल 2025 के शुरू होते ही सट्टेबाजी का काला कारोबार फिर से चरम पर पहुंच गया है। पुलिस और साइबर सेल की तमाम सख्ती और दावों के बावजूद सटोरिए नए-नए हाईटेक तरीकों से अपना नेटवर्क चला रहे हैं। व्हाट्सएप, टेलीग्राम, डार्क वेब जैसी आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर संगठित गिरोह केवल सरगुजा संभाग में करोड़ों का अवैध धंधा कर रहे हैं। सवाल यह उठता है कि पुलिस की चौकसी के बावजूद ये गिरोह अब तक गिरफ्त से बाहर क्यों हैं, और आखिर कब तक इन पर पूरी तरह से लगाम लग पाएगी?

हाईटेक तरीकों से हो रही सट्टेबाजी।
पुलिस और जांच एजेंसियों का दावा है कि वे लगातार निगरानी रख रहे हैं, लेकिन सटोरिए हर बार नए तकनीकी हथकंडे अपनाकर बच निकलते हैं। इस बार सट्टेबाजी के लिए एन्क्रिप्टेड चैट ग्रुप, ऑनलाइन बेटिंग ऐप्स और फर्जी बैंक खातों का इस्तेमाल हो रहा है, जिससे ट्रांजेक्शन को ट्रैक करना मुश्किल हो गया है।
डार्क वेब और क्रिप्टोकरेंसी से खेल हो रहा बड़ा।
सट्टेबाजों ने अब नकद लेनदेन के बजाय क्रिप्टोकरेंसी, डिजिटल वॉलेट और हवाला का सहारा लेना शुरू कर दिया है। डार्क वेब पर संचालित कई गुप्त वेबसाइटों के जरिए आईपीएल मैचों पर बड़ी रकम दांव पर लगाई जा रही है। पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि ये वेबसाइटें गुप्त सर्वरों पर चलती हैं और इन्हें ट्रेस करना मुश्किल होता है।
प्रशासन के दावे और जनता के सवाल।
हर साल आईपीएल के दौरान पुलिस द्वारा सट्टेबाजों के खिलाफ कार्रवाई के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन असलियत यह है कि यह अवैध कारोबार हर साल और बढ़ता जा रहा है। सवाल यह उठता है कि आखिर कब तक पुलिस इन हाईटेक सटोरियों तक पहुंच पाएगी? क्या प्रशासन की कोशिशें काफी हैं, या फिर कानून को और सख्त करने की जरूरत है?
कब तक आएंगे गिरफ्त में सवाल बरकरार…
जानकारों की मानें तो जब तक डिजिटल ट्रांजेक्शन पर सख्त निगरानी, डार्क वेब की मॉनिटरिंग और साइबर सिक्योरिटी सिस्टम को मजबूत नहीं किया जाएगा, तब तक सट्टेबाजों पर पूरी तरह से लगाम लगाना मुश्किल रहेगा। पुलिस की कोशिशें जारी हैं, लेकिन जनता के मन में अब भी यही सवाल है आखिर कब तक आएंगे ये सटोरिए गिरफ्त में?